आदर्श समाज की नींव

हम आज अपने जीवन -निर्वाह के लगभग उत्कृष्तम स्तर पर तो हैं परन्तु इस अवस्था के साथ अपने जीवन -मूल्यों को उत्कृष्ट नहीं रख पाए हैं, जिसके फलस्वरूप हम समाज को पतनोमुखी देख रहें हैं | हम आज समाज में बच्चों को अक्सर, धूम्रपान, मधपान, जुआ, समाज विरोधी कामों, शिक्षा से विमुख जैसे ही कई कामों मे लिप्त देखते हैं। इस परिस्थिति को देखते हुए हम समझ सकते हैं कि हमारे समाज का भविष्य कैसा होगा । मुझे अपने बचपन की एक स्मृति याद आती कि पड़ोस में अगर कोई बच्चा कोई भी ऐसा काम करता हो जिससे उसके शरीर व् समय का नुकसान हो तो ऐसे समय में अगर आस- पास कोई व्यक्ति हो तो वह उस बच्चे को उस काम को करने से मना करता था और वह बच्चा भी उनकी बात को आदर से मानता था, यह दोनों बात ही आज हमें लगभग नहीं दिखती | इस कथन में हम एक प्रकार के सामाजिक दायित्व को देखते हैं , और आज हम अपने बच्चों के उत्कृष्टम भविष्य के लिए लगभग सत -प्रतिशत जिम्मेदार हैं | मेरा इस कथन को व्यक्त करने का उद्द...