हमारे जीवन में त्योहारों का महत्त्व, द्वितीय भाग

त्यौहार हमारे जीवन में एक ऐसा उत्सव है जब हम अपनी भौतिक चेतना से आध्यात्मिक चेतना की ओर उन्मुख होते हैं, यहाँ हम केवल अपने सामाजिक जीवन में गतिशील आचार विचार की ही बात नहीं करते बल्कि त्यौहार में अंतर्निहित मूल भावना को अपने मानवीय संबंधों के बीच आचरण में उतारने का प्रयास करते हैं इस प्रकार हम अपनी पहचान को जानने के अधिक करीब होते हैं | यह कुछ ऐसा ही है जैसे सूर्योदय के उपरांत पृथ्वी अंधकारमय वातावरण से प्रकाशमय वातावरण में रूपांतरित हो जाती है और हम पृथ्वी पर सभी कुछ स्पष्ट रूप में देख सकने में समर्थ हो जाते हैं | उत्सव भी इसके ही समांनांतर हमारे जीवन को इस प्रकार प्रकाशित करते हैं कि हम अपने जीवन को स्पष्ट रूप में देख सकने समर्थ हो जाते हैं | उपरोक्त कथन को अगर हम समझे तो यह अवस्था हमारी अपने से आत्मसाक्षत्कार होने के करीब पहुँचने की है और अपने इस मूल स्वाभाव से निर्देशित हमारा आचरण हमारे स्वभावानुकूल ही होगा | हमारा ध्येय मुख्यतः इस बात पर केंद्रित है कि त्योहरों द्वारा मूलतः हमारे अंतःकरण में उत्स...