आओ पैसे का पेड़ लगाएं, प्रथम भाग

हम सभी इस बात से सहमत होंगे कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं और अपनी दिन -प्रतिदिन की लगभग सभी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समाज पर निर्भर है | मनुष्य अपने जीवन के प्रत्येक कालक्रम में अपनी आवश्यकताओं को प्राप्त करने के बदले स्वरुप अथार्त विनिमय के माध्यम के रूप में कभी वस्तु तो कभी किसी कीमती धातु और अब सांकेतिक मुद्रा के रूप में कागजी मुद्रा तथा धातु से बने सिक्कों का उपयोग कर रहा है | उपरोक्त तथ्यों के उल्लेख द्वारा हम जिस नित्य तत्व को देख रहे हैं वह मनुष्य का अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के उपरांत किसी वस्तु या धातु को विनिमय के माध्यम के रूप में देना है | यह भी स्वतः स्पष्ट है कि हम अपनी आवश्यकताओं तथा इच्छाओं को पूरा करने के लिए अपनी कार्य कुशलता अनुसार किसी आर्थिक गति -विधि में संलिप्त होते हैं | इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि अगर हम किसी आर्थिक कार्य को पूरा करेंगे तभी हम अपने जीवन की सभी आवश्यकताओं तथा इच्छाओं पूरा कर पाएंगे अन्यथा हमें अपने जीवन की जरूरी आवश्य...