क्या हमारे देश की राजनीति पतनोमुखी हो चुकी है
अगर हम एक आदर्श समाज की नींव बनाने पर मंथन करें तो जो अतिविशिष्ट ईट नींव में डलेगी वह राजनीती रूपी ईट होगी | इस बात को हम अच्छी तरह से समझ सकते हैं कि अगर हमारे समाज की नींव मजबूत होगी तो यह भी सिद्ध है की हमारे जीवन मूल्य भी मजबूत और अपरिवर्तनशील होंगे | यह अटल सत्य है कि हम व्यक्तिगत जीवन जीते हुए एक आदर्श समाज के चहुंमुखी निर्माण में हम अपना योगदान तो दे सकते हैं परन्तु सक्रिय रूप से अपने को समर्पित नहीं कर सकते |
अतः हम ऐसे व्यक्ति जिन्हे हम राजनेता कहते हैं को चुनते है, जो एक आदर्श समाज के निर्माण को समर्पित हो, मानवीय और प्राकर्तिक सम्पदा का उपयोग कर एक समृद्ध सामाजिक, आर्थिक,राजनैतिक, धार्मिक और वैदेशिक इत्यादि वातावरण बनाता है | इस बात को हम आसानी से समझ सकते हैं कि एक समृद्ध समाज में ही मनुष्य का उर्ध्वगामी विकास हो सकता है, जो नित्य होगा अन्यथा मनुष्य के विकास की पराकाष्टा एक ऐसी इमारत के समान होगी जिसकी नींव कमजोर रेत के धरातल पर बनी हो जो अवश्य ही एक दिन जमीन में मिल जाएगी |
उपरोक्त वाक्यों के मर्म को सत - प्रतिसत समझने पर यह स्वतः सिद्ध हो जाता है हम ऐसे योग्य राजनेताओं का चुनाव करें जो व्यक्तिगत हित के स्थान पर सामाजिक हित और कल्याण को सर्वोपरी रखें | अगर हम अपने अतीत के अधिकांश राजनेताओं के जीवन पर मंथन करें तो यह निष्कर्ष निकलता है कि उनके लिए राजनीति समाज को हर क्षेत्र में समृद्ध करने का एक माध्यम था |
यह हमारे समाज का दुर्भाग्य ही है कि आज हम जिन राजनेताओं का चुनाव कर उन्हें समृद्ध समाज निर्माण का उत्तरदायित्व सौंप रहे है, उनमें अधिकांश राजनेता तो समाज की कीमत पर भी अपना विकास करने से नहीं चूकते | यहाँ पर यह भी कटु सत्य है है कि इसके लिए मुख्य रूप से हमी जिम्मेदार हैं |
अधिकतर हम भी क्षणिक लालच, अज्ञानता, अदूरदर्शिता, पक्षःपातपूर्ण इत्यादि कारणों से प्रेरित हो ऐसे भ्रष्ट व्यक्ति का चुनाव कर राजनीति की जिम्मेदारी सौंप कर समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व को पूरा कर लेते हैं | अब यह स्पष्ट रूप से सिद्ध है कि भ्रष्ट राजनेता सामाजिक सम्पदा का उपयोग अपने को फायदा पहुँचाने के लिए ही करेगा और उसके इस आचरण से समाज के हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार फैलेगा |
आज अधिकतर हम परिवारवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद, धार्मिक, नस्लवाद इत्यादि से सम्मोहित हो राजनीति के लिए ऐसे व्यक्ति का चुनाव कर लेते हैं, जो सर्वथा अयोग्य होता है | ऐसे अयोग्य राजनेताओं का कोई जीवन मूल्य नहीं होता, ये अपना फायदा देखने तथा हर अवसर को अपने अनुकूल करने हेतु किसी भी राजनीतिक दल में मिल जाते हैं, चाहें उस राजनीतिक दल से उनका वैचारिक असहमति ही क्यों ना हो इससे उन्हें कोई फरक नहीं
पड़ता | अब हम समझ ही सकते है कि इससे देश में भ्रष्टाचार, आपराधिक मानसिकता का विस्तार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तथा रोजगार इत्यादि का स्तर गिरता ही जाएगा |
यहाँ पर मुझे सम्माननीय व्यक्ति श्री शिव खेड़ा जी का वह कथन याद आता है कि जिन्हे हम अपने बच्चों की जिम्मेदारी नहीं सौंप सकते उनके हाथों में हम अपना देश चलाने की जिम्मेदारी सौंप देते हैं |
उपरोक्त तथ्यों की रोशनी में यह स्वतः स्पष्ट है कि हमें एक विकसित समाज हेतु तथा राजनीति को सामाजिक कल्याण से प्रेरित बनाने में अपनी भागीदारी को समझना होगा तभी हम अपने देश में राजनीती के गिरते स्तर को रोक सकते हैं, इसके लिए योग्य व्यक्तियों को ही चुनकर देश की राजनीति चलाने की जिम्मेदारी सौंपे |
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